Posts

Showing posts from December 18, 2017
यूं ही खता कोई करता नही ! खाता है हर कोई धोखा ... इस प्यार के खेल मे मैं इस खेल का .... पहला खिलाड़ी नही ! बरसती हैं आंखे अक्सर .... हालातों की धूप में सिर्फ नज़रों की इसमे ... खता नही ! कहने समझने का .... अंतर जरूर होगा बाते यूं ही हवाओ मे ... दिशा बदलती नही ! लब सील गए होंगे तेरे ... खामोशी के धागों से वरना यूं ही कोई .... चुप रहता नही ! खेलती है तेरी यादें मुझसे ... ख्वाबों के बागों में जब तक सुबह का माली .... दस्तक देता नही ! © Vishal Maurya    नोट - आपको रचना कैसी लगी हमे अवश्य बताए !