गजल : फकीर चाहिए .... एक पल मे जो मेरे ... मुल्क की बाज़ी पलट दे , सियासत में ... वो वज़ीर चाहिए ! रहनुमा ही भटकाते हैं ..... अक्सर खुदा , जो सही राह बता दे ..... वो फकीर चाहिए ! अब पत्थर नहीं ..... अब दंगे नहीं , खूबसूरती जिसका गहना ... वो कश्मीर चाहिए ! देखो .... बड़ी बेरंग सी हो गयी है मेरे मुल्क की सूरत , जो थोड़ा सा रंग भर दे .... वो अबीर चाहिए ! जो किस्मत बदल दे .... मेरे मुल्क की खुदा , हुक्ममरानों के माथों पर .... वो लकीर चाहिए ! बेइमानो ने जगह ले ली है .... ईमानदारों की , जो उनको औक़ात दिखा दे ..ईमान की पुरानी ... वो तस्वीर चाहिए ! देखो ... कुछ भटक से गए है ... आज हम , जो सही पता बता दे ... वो जमीर चाहिए ! अब चुप रहने से ....बात नहीं बनेगी यारों , अचूक निशाना हो जिसका .... जुबां में ... वो तीर चाहिए ! © Vishal Maurya ' Vishaloktiya ' नोट - रचना आपको कैसे लगी हमे अवश्य बताए और मित्रों के संग साझा करें ! हमें यूट्यूब चैनल पर भी फॉलो करे ! ( लिंक नीचे ) https:...
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