चाहे तो दामन में आसमान रखो ,
पर इतना न तुम
गुमान रखो !
बड़ा जुल्म
ढाती है ये दुनिया ,
हिफाजत को मौत
का सामान रखो !
फजीहतों का
कोई वक़्त नही होता ,
हाथ में तैयार
हमेशा कमान रखो !
जल जाते हैं
ईमान इसकी आंच में ,
सियासतों से
दूर मकान रखो !
कब तलक भरोसा
रहे जनता को ,
सरकारों तुम
भी कभी जबान रखो !
© Vishal Maurya ' Vishaloktiya '
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